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डंपिंग जॉन के मलवे से बन सकता है बड़ा खतरा : देखिये रिपोर्ट-

 डंपिंग जॉन के मलवे से बन सकता है बड़ा खतरा : देखिये रिपोर्ट-







(हरीश गुसाईं/तहलका यूके न्यूज अगस्त्यमुनि)

अगस्त्यमुनि। रूद्रप्रयाग गौरीकुण्ड राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कार्यदाई संस्था की कार्यप्रणाली हमेशा ही विवादित रही है। कभी पहाड़ों की बेतरतीब कटिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं तो कभी सड़क को अपने हिसाब से काटने के सम्बन्ध में। कार्यदाई संस्था द्वारा सड़क कटिंग का मलबा भी डम्पिंग जोन के इतर सीधा नदी में भी डाला जा रहा है। और अगर कहीं डम्पिंग जोन में डाला भी जा रहा है तो वह इतना ज्यादा है कि भविष्य में भारी बाढ़ का खतरा बन सकता है। 

रूद्रप्रयाग से गौरीकुण्ड राष्ट्रीय राजमार्ग पर ऑलवेदर रोड का पिछले दो वर्षों से कार्य चल रहा है। पहाड़ों की बेतरतीब कटिंग ने कई नये स्लाइडिंग जोन बना दिए हैं। जिससे इन सड़कों पर चलना जान हथेली पर लेकर चलने के समान है। वहीं इन स्लाइडिंग जोन में आये दिन भारी मात्रा में मलबा आ जाता है। जिसे निर्माणदाई संस्था द्वारा मन्दाकिनी नदी में सीधे ही डाला जाता है। आवाज उठाने पर कभी कभार किसी डम्पिंग यार्ड में भी मलबा ले जाया जाता है। इन डम्पिंग यार्ड में भी मलबा डालने की कोई सीमा निश्चित नहीं है। जिसके कारण अधिकांश मलबा सीधे नदी में ही चला जाता है।



 ऐसा ही आजकल अगस्त्यमुनि नपं के अन्तर्गत थाने के निकट बनाये गये डम्पिंग यार्ड में भी देखा जा रहा है। वहां पर इतना अधिक मलबा डम्प किया जा चुका है कि अब वह सीधा नदी में ही जा रहा है। परन्तु निर्माणदाई संस्था द्वारा वहां पर मलबा डम्प करना बन्द नहीं किया गया है। बल्कि बरसात में जगह जगह हुए भूस्खलन का मलबा भी इधर ही डाला जा रहा है। ऐसे में स्थानीय निवासी काफी डरे हुए हैं। क्योंकि मन्दाकिनी का रौद्र रूप सभी 2013 की आपदा में देख चुके हैं। 2013 की आपदा में जो भी सम्पतियों का नुकसान उठाना पड़ा था, उसका सबसे बड़ा कारण क्षेत्र में निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना के डम्पिंग यार्ड ही रहे। उन्होंने भी अपने डम्पिंग यार्ड नदी के किनारे ही बनाये थे, जो बाढ़ में बहकर आगे चलकर भारी नुकसान का कारण बना। जिसे माननीय उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने भी माना था। और आज फिर वही गलती ऑल वेदर रोड का कार्य कर रही निर्माणदाई संस्था द्वारा भी की जा रही है। राजकीय महाविद्यालय अगस्त्यमुनि में भूगोल के प्रवक्ता डॉ अखिलेश्वर द्विवेदी इसे भूकम्प एवं भूस्खलन में अति संवेदनशील रूद्रप्रयाग जिले के लिए बहुत बड़ा खतरे मानते हैं। उनका कहना है कि पहले ही बेतरतीब कटिंग से पहाड़ कमजोर हो चुके हैं जो कि लगातार भूस्खलन का कारण बन रहे हैं वहीं नदी तटों पर भारी मात्रा में मलबा जमा होना कभी भी तबाई मचा सकता है। 2013 में इसका जीता जागता उदाहरण हर कोई देख चुका है। वहीं लोनिवि (राष्ट्रीय राजमार्ग) के अधिशासी अभियन्ता जितेन्द्र त्रिपाठी का कहना है कि हर डम्पिंग यार्ड इस तरह से बनाया जाता है कि उसमें क्षमता से अधिक मलबा नहीं आ सकता है। यदि कहीं पर ऐसा हो रहा है तो उसकी जांच कर निर्माण दाई संस्था पर जुर्माना लगाया जायेगा। 

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