गणेशनगर पिल्लू जहंगी मोटर मार्ग बना सरकारी धन को ठिकाने लगाने का जरिया
गणेशनगर पिल्लू जहंगी मोटर मार्ग बना सरकारी धन को ठिकाने लगाने का जरिया
नौ साल में भी नहीं बनी चार किमी सड़क।ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों ने लगाया ठेकेदारों एवं इन्जीनियरों पर भ्रष्टाचार का आरोप।
(हरीश गुसाईं /तहलका यूके न्यूज अगस्त्यमुनि)
विभागीय लापरवाही और भ्रष्टाचार का नमूना देखना हो तो एक बार निर्माणाधीन गणेशनगर से पिल्लू जंहगी मोटर मार्ग को देख लें। यह चार किमी की सड़क नौ साल बाद भी नहीं बन पाई। ग्रामीणों का आरोप है कि इस सड़क निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है और ठेकेदारों एवं इन्जीनियरों की बल्ले बल्ले हो रही है। इन नौ सालों में कई ठेकेदार आये और कुछ दिन कार्य कर चलते बने। परन्तु कोई भी कार्य पूर्ण नहीं कर पाया। यही नहीं दो - दो निर्माण एजेन्सियां भी निर्माण को पूरा नहीं कर पाई। स्थानीय ग्रामीणों ने सड़क निर्माण में हुई लेटलतीफी एवं भ्रष्टाचार को लेकर डीएम से लेकर सीएम तक गुहार लगाई। परन्तु कहीं सुनवाई नहीं हुई।
वर्ष 2012 में पीएमजीएसवाई के अन्तर्गत गणेशनगर से पिल्लू, जहंगी चार किमी मोटर मार्ग की स्वीकृति मिली। पांच साल तक इस पर धीमी गति से कार्य चलता रहा। कई बार ठेकेदार बदले गये परन्तु निर्माण कार्य को गति नहीं मिल पाई। जबकि इस सड़क के साथ स्वीकृत हुई सड़कों पर डामर भी बिछ गया। वर्ष 2016 में यह सड़क एनपीसीसी को हस्तांतरित हो गई। इससे ग्रामीणों की उम्मीदों को पंख लगे। परन्तु चार वर्ष बीत जाने के बाद भी सड़क की दशा नहीं सुधरी है। जबकि ठेकेदारों का आना जाना अभी भी लगा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सड़क निर्माण मेंे जमकर धांधली की जा रही है। यह सड़क सरकारी धन को ठिकाने लगाने का जरिया बन गई है।
प्रधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष विक्रम नेगी, प्रधान जहंगी धीरेन्द्र नेगी तथा प्रधान पिल्लू लता देवी ने बताया कि उक्त सड़क के सम्बन्ध में वे जिलाधिकारी, केदारनाथ विधायक, पूर्व विधायक, जनपद के माननीय प्रभारी मंत्री सतपाल महाराज तथा माननीय मुख्यमंत्री को ज्ञापन दे चुके हैं। परन्तु अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। अब ग्रामीणों के सब्र का बांध टूटने लगा है। यदि शीघ्र ही सड़क निर्माण का कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ तो ग्रामीण आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे। वहीं एनपीसीसी के परियोजना प्रबन्धक जोगिन्दर पाल सिंह का कहना है कि सड़क पर 60 प्रतिशत निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। ठेकेदार द्वारा लम्बे समय से कार्य नहीं किया जा रहा था। जिसके बाद पहले मेरे स्तर से उसे बार बार नोटिस दिया गया। फिर सीएमडी कार्यालय से भी ठेकेदार को नोटिस भेजे गये हैं। जिसका कोई जबाब नहीं मिला है। अब ठेकेदार के खिलाफ टर्मिनेशन की कार्यवाही गतिमान है, जो कि अन्तिम चरण में है। आशा है कि सितम्बर माह से सड़क निर्माण का कार्य पुनः प्रारम्भ हो जायेगा।
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