नगर पंचायत अगस्त्यमुनि को उच्च न्यायालय नैनीताल से बड़ी राहत
नगर पंचायत अगस्त्यमुनि को उच्च न्यायालय नैनीताल से बड़ी राहत।
(हरीश गुसाईं/तहलका यूके न्यूज अगस्त्यमुनि)
अगस्त्यमुनी।केन्द्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत बनी पार्किंग को लेकर पर्यटन विभाग एवं नगर पंचायत अगस्त्यमुनि के बीच हुए विवाद में नगर पंचायत अगस्त्यमुनि को उच्च न्यायालय नैनीताल से बड़ी राहत मिली है। माननीय न्यायालय ने पर्यटन विभाग द्वारा पार्किंग के संचालन हेतु ई निविदा की प्रक्रिया को गलत मानते हुए इस पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं।
अगस्त्यमुनि नगर क्षेत्र में केन्द्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत वर्ष 2017 में सात करोड़ रू0 मिला था, जिसमें कार पार्किंग, स्ट्रीट लाइट, रास्ते तथा प्रतीक्षालय का निर्माण कराया जाना था। निर्माण दाई संस्था पर्यटन विभाग को बनाया गया था। ये सभी निर्माण वर्ष 2019 में पूर्ण हो गये थे। उसके बाद पर्यटन विभाग ने पार्किंग को छोड़कर बाकी सभी निर्माण नपं को हस्तगत कर दिए गये।
पर्यटन विभाग की नजर शायद पार्किंग से होने वाली आय पर थी। इसलिए उसने पार्किंग को नपं को सौंपने से साफ इन्कार कर दिया। इसी बीच नंप ने कई बार पर्यटन विभाग से पार्किंग को हस्तगत करने का प्रयास किया और सम्बन्ध में पर्यटन सचिव दलीप जावलकर एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से भी अनुरोध किया। परन्तु विभागीय अधिकारियों के अड़ियल रवैये से यह अनुरोध परवान नहीं चढ़ पाया। और विभाग ने पार्किंग के संचालन के लिए ई निविदा भी जारी कर दी। जिसके नपं अध्यक्ष अरूणा बेंजवाल ने अधिशासी अधिकारी को माननीय उच्च न्यायालय में निविदा के खिलाफ रिट दायर करने के निर्देश दिए। 18 अगस्त को नपं द्वारा अधिकृत अधिवक्ता जयवर्द्धन काण्डपाल ने निविदा प्रक्रिया पर रोक लगाने हेतु याचिका दायर की गई।
दोनों पक्षों के बीच जारदार बहस के बाद न्यायालय ने निविदा प्रक्रिया को गलत मानते हुए इस पर तत्काल रोक लगाने के आदेश दिए गये। इस सम्बन्ध में नपं अध्यक्ष श्रीमती अरूणा बेंजवाल ने बताया कि अगस्त्यमुनि की पार्किंग को पर्यटन विभाग द्वारा भारत सरकार की प्रसाद योजना के तहत निर्माण निगम द्वारा बनाया गया जिसको बनाये हुये लगभग 2 बर्ष पूरे होने जा रहे हैं। और अभी तक पार्किंग को नगरपंचायत को हस्तगत नही किया गया । पर्यटन विभाग खुद पार्किंग का संचालन करना चाहता है जिसकी प्रक्रिया पर्यटन विभाग उत्तराखंड द्वारा की गई है। परन्तु नपं किसी भी प्रकार से ऐसा होने नही देगी। क्योंकि ऐसा होने से नगरपंचायत को न केवल भूमि से हाथ धोना पड़ेगा बल्कि उसकी आय व स्थानीय बेरोजगारांेे का रोजगार प्रभावित होगा।
No comments